एक बुरी आदत घोले गृहस्थी में विष

एक बुरी आदत घोले गृहस्थी में विष

रैना ने आज ही ऑफिस ज्वाइन किया था. जॉब तो वो हमेशा से करती थी पर आज पूरे एक साल के ब्रेक के बाद उसने ये नई जॉब ज्वाइन की थी. इस बीच में उसे आरव के रूप में प्यारासा बेटा मिला. आज उसे क्रेच में छोड़कर आई थी इसलिए मूड ऑफ था पर क्या करें मजबूरी ही ऐसी थी कि जॉब करना भी जरूरी था. लंचटाइम में वो आरव के साथ वीडियो कॉल पर थी. पिछले 15 दिनों से वो उसे रोज क्रेच ले जा रही थी ताकि वो वहाँ एडजस्ट कर सके. बेटे को खुश देखकर उसने लंच शुरू किया ही थी कि सामने की टेबल पर मोहित को देखकर वो उसे ठीकसे पहचानने की कोशिश कर रही थी.

आठ साल पहले दोनों एक ही क्लास में थे. तभी मोहित भी उसे देखकर हाथ हिलाता हुआ उसी के सामने आकर बैठ गया. “व्हाट ब्यूटीफुल सरप्राइज रैना! कैसी हो?? यहाँ कब ज्वाइन किया???”

सुबह से लेकर अब वो दिल से मुस्कुराई थी. “आज ही ज्वाइन किया मोहित! तुम यहाँ कबसे हो?? आज तो वाकई मजा गया. इतने सालों बाद मिले हैं. घर पर कौनकौन है?”

मैं तो तीन साल से यही हूँ. शादी हो गई. एक बिटिया है. माँबाऊजी भी यहीं शिफ्ट हो गए हैं. सब बढ़िया चल रहा है.”

वाह! परिवार के साथ रहने का मजा ही कुछ और है. चार साल पहले मेरी शादी हुई थी. अब बेटा दस महीने का हो गया इसलिए आज ही ज्वाइन किया है. चलो अब तो रोज मिलेंगे.”

हाँ, पुराने दोस्तों से मिलना काफी अच्छा होता है. अपने बैच में से तो हार्डली 4-5 फ्रेंड्स ही टच में है.”

हाँ; उर्वशी, रजत और अमित तो उसी साल एब्रोड चले गए थे. तबसे कोई भी टच में नहीं है.”

लंच के बाद दोनों अपनीअपनी केबिन में चले गए. रोजाना बातें करते हुए दोनों ने काफी बातें शेयर की. यूं दोनों ही अपनी गृहस्थी से खुश थे पर दोनों ही अपनेअपने spouse की एक कॉमन आदत से परेशान थे. उस एक आदत की वजह से दोनों की गृहस्थी में जबतब विष घुल जाता था. आज जब दोनों ने इस बारे में बात की तो उन्हें पता चला कि ये समस्या आजकल काफी कॉमन हो गई है. तो दोनों उदास होने पर भी हँसने लगे.

अब आपको काफी उत्सुकता हो रही होगी कि आखिर वो कॉमन प्रॉब्लम है क्या?? चलिये ! आपको बताते तो है ही साथ ही आपसे अनुरोध है कि आप इसे पढने के बाद अपना इवैल्यूएशन जरूर कर लें कि कहीं आपको भी तो ये बीमारी नहीं लगी हुई है.

शुरूआत मोहित ने की. “यार रैना! वैसे तो मेरी वाइफ सीमा काफी पढ़ीलिखी और घर के काम में एक्सपर्ट है. पर वो अपने 24 घंटों में से पाँच घंटे रोजाना अपनी माँ और बहनों से बातें करती है. अब इतनी देर बातें होंगी तो नो डाउट उसमें मेरे माँबाऊजी और मेरी बुराइयाँ तो होगी ही. और वो लोग चुपचाप सुन ले; उसे कोई सलाह देऐसा होना तो असंभव है.

पता नहीं क्या असर होता है कि अच्छीभली काम करती सीमा खुद को कमरे में बंद कर लेती है. 2-3 दिन माँ से बात नहीं करती. हफ्ते में एकबार तो जोरजोर से सुना ही देती है कि मेरे कमाये रूपये पर सबसे पहला हक़ उसका है. ये फ्लैट उसके नाम है. उसे इस फेस्टिवल पर फलांफलां ज्वेलरी चाहिये. वो इस घर की नौकरानी नहीं है जो रातदिन काम करें.”

तो क्या आंटी घर के काम में उसकी हेल्प नहीं करती? तुम उसे फेस्टिवल पर गिफ्ट्स नहीं देते क्या?”

यही तो तकलीफ है कि ऐसा कुछ भी नहीं है. माँ तो चारू को इतने प्यार से रखती है कि वो उन्हें दादी नहीं मम्मी कहती है. बाकी सभी कामों में हेल्प करती है. मुझे लगता है उसकी दीदी और माँ उसे सिखाती है कि माँबाऊजी के आने से उसका काम और मेरा खर्च बढ़ गया है. और हम आगे के लिए कुछ सेव नहीं कर पायेंगे इसलिए इस तरह लड़कर वो माहौल खराब करती है. पता नहीं खुद की अक्ल से कोई काम क्यों नहीं करती? ये मायकेवाले वाले भी ना; खुद ही बेटी की गृहस्थी में जहर घोलते हैं.”

हेलो! मिस्टर मोहित! ये बात लड़कों के मायकेवालों पर भी अप्लाई होती है. तुम्हें सुनकर आश्चर्य होगा पर मेरे इन लॉज़ भी यही करते हैं. ये तो तुम्हें मैंने बताया ही था कि मेरे कहने के बाद भी वे हमारे साथ नहीं रहते ना हमें अपने घर में रहने देते. आरव के जन्म के समय हमें उनका सपोर्ट चाहिये था, वे नहीं आये. मुझे दस महीने के बच्चे को क्रेच में छोड़ना पड़ा क्योंकि अजीत की सेलरी इतनी नहीं कि घर ठीक से चल सके. शादी के हफ्तेभर बाद उन्होंने हमें खाली हाथ यहाँ भेज दिया. कोई बात नहीं स्ट्रगल करके हम बेहतर ही बनेंगे पर दूर से की जाने वाली उनकी दखलंदाजी मुझे नश्तरसी चुभती है.”

क्या रैना! तुम्हें उनके लिए कुछ नहीं करना पड़ता. जो भी कर रही हो अपने पति और बच्चे के लिए कर रही हो फिर क्या शिकायत?”

जैसे तुम्हारे ससुराल वालों ने सीमा को विदा करके भी उसकी लगाम खुद के हाथों में थाम रखी है वैसे ही मेरे इन लॉज़ ने भी अजीत की लगाम अपने हाथों में पकड़ रखी है. वे उससे मेरी अर्निंग, सर्कल, रूटीनसबकी जानकारी लेते हैं. जब उन्होंने तनमनधन से मेरा घर बसाने में कोई योगदान नहीं दिया तो उन्हें मेरी गृहस्थी में इंटरफियर करने का कोई हक़ नहीं है. आरव के लिए आज भी रातों को मैं ही जगती हूँ और वीडियो कॉल पर उन्हें अगर उसका टीशर्ट थोड़ा भी गंदा दिख जाये तो वो मुझे लापरवाह माँ का ख़िताब दे देते हैं. अगर फ्लैट की ईएमआई मैं नहीं दूं तो उन्हें तकलीफ होती है.”

तो उन्हें तुम दोनों की आपसी बातें पता कैसे चलती है? तुम्हें तो इतना टाइम मिलने से रहा कि तुम उन्हें बताओ और वैसे भी तुम लिमिटेड ही बोलती हो.”

यही तो समझाना चाहती हूँ जनाब कि ये सीमा ही नहीं जो फोन पर सब खबरें देती है. अजीत भी छोटे बच्चे की तरह हमारी हर बात उन्हें डीटेल से बताते हैं. उनकी नजर में मैं अच्छी बहू हूँ, अच्छी पत्नी और अच्छी माँ.”

जिस दिन वो खुद की आँखों से तुम्हें देखेगा उस दिन उसे तुम एक शानदार इन्सान लगोगी. काश वो अपने पेरेंट्स की आँखों से देखना छोड़ दे.”

बस यही सीमा के साथ होगा. जिस दिन वो हर बात में मायकेवालों से सलाह लेना छोड़ देगी; उसे अंकलआंटी का साथ बहुत अच्छा लगेगा क्योंकि जब बड़े साथ रहते हैं तो हमें मेंटल सपोर्ट रहता है. बच्चे की परवरिश की चिंता नहीं रहती.”

तो दोस्तों! मान गए ना कि ये कॉमन प्रॉब्लम है. अगर आपको भी मायके की बात ससुराल में या ससुराल की बात मायके में बताने की आदत है तो अब मोबाइल से तौबा कर लीजिये. अपने spouse को अपनी आँखों से देखिये और अपनी पर्सनालिटी और करियर को डवलप करने पर ध्यान लगाइये. यकीनन जिंदगी और खूबसूरत हो जायेगी.

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